*महारथी*
महारथी सब हुए एकजुट,
अभिमन्यु पड़ गया एकल ।
फिर भी करता रहा युद्ध वो,
किये अधर्मी सारे विकल ।।
अन्तिम साँसों तक अभिमन्यु,
महावीरों से लड़ता रहा ।
कभी नहीं भयभीत हुआ वो,
अस्त्र-शस्त्र छल सहता रहा ।।
मिली वीरगति अभिमन्यु को,
नाम अमर कर गया सपूत ।
चक्रव्यूह अभिमन्यु न भूले,
अर्जुन प्रण लेकर हरि बूत ।।
युद्ध भयंकर महाभारत का,
हुआ दुर्योधन के ही स्वार्थवश ।
सीख रामायण भी सच देती,
सदाचार से विजय का सुख ।।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से,
श्रीकृष्ण सदृश हैं कौन आज ?
प्रेमी भक्त प्रभु के जो सच्चे,
परहित भाव से वो करें काज ।।
भ्रात खड़ाऊँ सिंहासन रख,
भरत भाई सा कौन दिखे ?
सरयू अवध भगीरथी दर्शन,
सागर तट पर मौन लिखे ।।
सबका साथ विकास भावना,
हो विश्वास प्रयास सच्चाई ।
जनता माने उसी को लायक,
जो करे सेवा सबकी भलाई ।।
RISHITA
05-Jun-2024 06:41 AM
V nice
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अपर्णा " गौरी "
05-Jun-2024 10:52 AM
Thank you
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